गुरुवार, 24 दिसंबर 2009
परमोत्साह(जारी)
आपमे यह उत्साह कैसे आएगा इस पर विचार करना चाहिए। यह उत्साह एकाग्रता से आएगा। आपको एकाग्र होना आना चाहिए। आज हमारा पूरा मन अनेक दिशाओं में बटा रहता है हम एक कम करते है और दुसरे के बारे में सोचते है जिसके कारण हम काम में सफलता नहीं प्राप्त कर पाते। आपने दखा होगा किजिस काम को आप एकाग्र होकर करते है वह त्रुत्तिमुक्त होता है । आप एकांत स्थान पर बैठकर इस पर चिंतन करे तो आप आसानी से समझ सकते है.
सोमवार, 21 दिसंबर 2009
परमोत्साह
हमें अपने जीवन में उत्साह की कमी नहीं होने देना चाहिए। यह उत्साह साधारण न होकर असाधारण यानि परमोत्साह के रूप में होना चाहिए। यह उत्साह आपके भीतर है। पानी में डूबते हुए आदमी को बाहर निकलने के लिए इतना अधिक परिश्रम करना पड़ता है वह परमोत्साह है। यदि आपके पीछे कोई शेर या और जंगली जानवर दौड़ पड़े तो आपके भागने की गति क्या होगी आप सोच नहीं सकते। मतलब यह शक्ति आपमे थी लेकिन उत्साह की कमी के कारण प्रगट नहीं हो रही थी.यदि यह उत्साह आपके जीवन में हमेशा बनी रहे तो आप सोच सकते है की आपको जीवन में कितनी बड़ी सफलता प्राप्त हो सकेगी.
शुक्रवार, 27 नवंबर 2009
chintan and chinta
अपने देश के राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा था
क्रिया को छोड़ चिंतन में फंसेगा, उलट कर काल तुझको ही ग्रसेगा
आप कह सकते हे की जीवन को आगे बढ़ने देने के लिए चिंता का त्याग करना होगा। यह एक सच्चाई हे। वावजूद इसके हम और आप चिंता करते हे चाहे वह पारिवारिक हो,सामाजिक हो या आर्थिक.सच कहिये तो आज पुरा चिंतन अर्थ को लेकर ही चल रहा हे। इन चिंतावो से मुक्ति आजीवन मिलने वाली नही हे पर यही जीवन का आनंद हे और आदमी पुरी जिंदगी हँसी-खुशी गुजर देता है।chinta
आदमी को शारीरिक एवं मानसिक रूप से परेशां करती है जबकि चिंतन uske मानसिक और सामाजिक सोच का दायरा बढाती है यह चिंतन किसी ग्रन्थ का हो या अपने आराध्य का कुछ भी हो सकता है। वैज्ञानिक चिंतन कर अविष्कार करते है जिसका फायदा समाज को मिलता है यह छिपी बात नही है। आपके भीतर जो एक छिपी हुई शक्ति है उसे जगाये और सतत सावधान रहे की वह हमेशा जाग्रत रहे.
क्रिया को छोड़ चिंतन में फंसेगा, उलट कर काल तुझको ही ग्रसेगा
आप कह सकते हे की जीवन को आगे बढ़ने देने के लिए चिंता का त्याग करना होगा। यह एक सच्चाई हे। वावजूद इसके हम और आप चिंता करते हे चाहे वह पारिवारिक हो,सामाजिक हो या आर्थिक.सच कहिये तो आज पुरा चिंतन अर्थ को लेकर ही चल रहा हे। इन चिंतावो से मुक्ति आजीवन मिलने वाली नही हे पर यही जीवन का आनंद हे और आदमी पुरी जिंदगी हँसी-खुशी गुजर देता है।chinta
आदमी को शारीरिक एवं मानसिक रूप से परेशां करती है जबकि चिंतन uske मानसिक और सामाजिक सोच का दायरा बढाती है यह चिंतन किसी ग्रन्थ का हो या अपने आराध्य का कुछ भी हो सकता है। वैज्ञानिक चिंतन कर अविष्कार करते है जिसका फायदा समाज को मिलता है यह छिपी बात नही है। आपके भीतर जो एक छिपी हुई शक्ति है उसे जगाये और सतत सावधान रहे की वह हमेशा जाग्रत रहे.
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