गुरुवार, 24 दिसंबर 2009
परमोत्साह(जारी)
आपमे यह उत्साह कैसे आएगा इस पर विचार करना चाहिए। यह उत्साह एकाग्रता से आएगा। आपको एकाग्र होना आना चाहिए। आज हमारा पूरा मन अनेक दिशाओं में बटा रहता है हम एक कम करते है और दुसरे के बारे में सोचते है जिसके कारण हम काम में सफलता नहीं प्राप्त कर पाते। आपने दखा होगा किजिस काम को आप एकाग्र होकर करते है वह त्रुत्तिमुक्त होता है । आप एकांत स्थान पर बैठकर इस पर चिंतन करे तो आप आसानी से समझ सकते है.
सोमवार, 21 दिसंबर 2009
परमोत्साह
हमें अपने जीवन में उत्साह की कमी नहीं होने देना चाहिए। यह उत्साह साधारण न होकर असाधारण यानि परमोत्साह के रूप में होना चाहिए। यह उत्साह आपके भीतर है। पानी में डूबते हुए आदमी को बाहर निकलने के लिए इतना अधिक परिश्रम करना पड़ता है वह परमोत्साह है। यदि आपके पीछे कोई शेर या और जंगली जानवर दौड़ पड़े तो आपके भागने की गति क्या होगी आप सोच नहीं सकते। मतलब यह शक्ति आपमे थी लेकिन उत्साह की कमी के कारण प्रगट नहीं हो रही थी.यदि यह उत्साह आपके जीवन में हमेशा बनी रहे तो आप सोच सकते है की आपको जीवन में कितनी बड़ी सफलता प्राप्त हो सकेगी.
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