सोमवार, 21 दिसंबर 2009

परमोत्साह

हमें अपने जीवन में उत्साह की कमी नहीं होने देना चाहिए। यह उत्साह साधारण न होकर असाधारण यानि परमोत्साह के रूप में होना चाहिए। यह उत्साह आपके भीतर है। पानी में डूबते हुए आदमी को बाहर निकलने के लिए इतना अधिक परिश्रम करना पड़ता है वह परमोत्साह है। यदि आपके पीछे कोई शेर या और जंगली जानवर दौड़ पड़े तो आपके भागने की गति क्या होगी आप सोच नहीं सकते। मतलब यह शक्ति आपमे थी लेकिन उत्साह की कमी के कारण प्रगट नहीं हो रही थी.यदि यह उत्साह आपके जीवन में हमेशा बनी रहे तो आप सोच सकते है की आपको जीवन में कितनी बड़ी सफलता प्राप्त हो सकेगी.

9 टिप्‍पणियां:

खुला सांड ने कहा…

sundar baat |

Yugal ने कहा…

badiya

Bhagyoday ने कहा…

Welcome Happy New Year

Krishna Gopal Mishra ने कहा…

bahut accha likha hai, adami ko swayam mein chipi shakti ko pahchanane ki avashyakata hai.

Krishna Gopal Mishra ने कहा…

plz post ur comments on www.samaysandesh.blogspot.com

संगीता पुरी ने कहा…

इस नए ब्‍लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. अच्‍छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

dweepanter ने कहा…

नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।

राम बंसल/Ram Bansal ने कहा…

उत्साह मस्तिष्क की स्थिति है जो परिस्थितियों के साथ बदलती रहती है.

अजय कुमार ने कहा…

हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें