सोमवार, 5 अगस्त 2013

छोटे शहर इस तरह आहिस्ता आहिस्ता महानगरों में तब्दील हो रहे है की लोगों को जमीं का एक टुकड़ा  लेकर घर बनवाना अब अतीत का सपना होता जा रहा है। अपार्टमेंट में फ्लैट लेना तमाम लोगों की मज़बूरी बनती जा रही है।  इसी स्थिति को उधेरती  और सालती -कुछ शब्दों की कतरने _

पांव कमरे से निकाला तो मैं बाजार में था ,
है यह हसरत कि   मेरे घर का भी आँगन होता










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