गुरुवार, 14 जनवरी 2010

सुगंधी दीजिये

आप यदि विवेकशील,स्वच्छ आचरण तथा परोपकारी व्यक्तित्व के धनि है तो मै आशा कर सकता हूँ की आप जिनसे मिलेगे,जिनके संपर्क में आयेगे उनको दुर्गंधी नहीं देगे। आप के जीवन में सुगंध होना चाहिए। आप जहाँ बैठे,जहाँ रहें,जिनसे मिलें उनको सुगंधी दीजिये।
इस सुगंध का मतलब इत्र या स्सेंट नहीं है-इसका अर्थ है सद्गुणों की सुगंध.आप किसी को जीवन में संयम की बात कहते है, कुछ सार्थक बातें बतलातें है तो उसे जीवन के लिए सुगंध प्राप्त होगी। यह सुगंध आप बिना अतिरिक्त श्रम किये,बिना अतिरिक्त व्यय किये सबको देते रह सकते है।
मनुष्य का जीवन इस युग में बहुत व्यस्त है.अपनी परिस्थिति से वह क्लांत,छुब्ध रहता है उसे जो मिलता है एसा ही व्यव्हार करता है जिससे उसकी खीझ बढे। आप का कोई काम हो जाये और करने वाले को यदि धन्यवाद कह देते है तो आपका कुछ बिगरतानहीं किन्तु उसे एक प्रशन्नता होती है। आपने कभी स्टेशन पर कुली को सामान ठीक जगह पर रखने के पश्चात ठीक पैसा देकर धन्यवाद कहा है? कहकर देखिये। यह संसार को सुगंधी देना है। दूसरों को सुख-सुविधा और सात्विकता आदि देने का प्रयत्न आपमें है तो आप सर्व भुत हिते रताः सिधांत की और आगे बढ़ेगे।
हमारे जीवन में बहुत सी बातें प्रमाद के कारन उत्पन्न होती है। आप सावधान रहे तो दूसरों को शारीरिक,मानसिक किसी प्रकार की असावधानी ,दुर्गन्ध देने से सरलतापूर्वक बच सकते है, आपका जीवन सद्गुणों से भरा होना चाहिए। इस प्रकार आपके पास सद्गुणों की सुगंधी हो तब आप विश्व को देते रह सकते हैं.

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