मंगलवार, 2 मार्च 2010

समत्व की महिमा

जीवन में समता का बहुत ही महत्व है.आतंरिक और वाह्य समता दोनों प्रधान है और दोनों की महिमा महान है ।

पृथ्वी के समस्त जीवों में एक ही मिटटी ,पानी, अग्नि, वायु और आकाश रहतें है। आपकी श्वास कुते, हाथी, सांप आदि सबके सरीर में समान रूप से प्रवेश करती है और उन सबकी श्वास आपके भीतर आती है। दो जीवों के रक्त में कुछ ऐसा अंतर नहीं होता की डाक्टरी अंतर को छोड़कर आप उसमे कोई विशेष अंतर बता सकें। केवल बाहरी आकार को लेकर शरीर का अंतर किया जाता है यानि आकृति से। आकृति का अंतर वैसे ही है जैसे मिटटी के विभिन्न वर्तनों में होता है। यह अंतर व्यव्हार और योग्यता में होता है। समान व्यवहार सांप और कुत्ते के साथ नहीं हो सकता इसी तरह घड़े और दीपक का व्यवहार समान रूप से नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों की उपयोगिता पृथक है। अतः आकृति के अंतर को व्यवहार तक ही रहने देना चाहिए।

व्यवहार का एक आदर्श है-आत्मनः प्रतिकुलानी परेशां न समाचरेत- जो व्यवहार आपके साथ किया जाये और आपको बुरा लगे, वैसा व्यवहार आपको दुसरे के साथ नहीं करना चाहिए। इस सम्बन्ध में भी थोड़ी सावधानी आवश्यक है। इसका यह अर्थ नहीं की आपको मिर्च अच्छी लगती है तो आप सबके भोजन में मिर्च डालें। इसका अर्थ यह है की आप यह देखे की जैसे आप अपनी प्रिय वस्तु चाहते है, आपकी अपनी रूचि है वैसे दूसरों की भी अपनी रूचि है। आप जैसा सम्मान अपनी रूचि का चाहते है, दूसरों की रूचि का वैसा ही सम्मान करें।

व्यवहार में यह समता, जीवन में आपको सफल बनाती है, सम्मान देती है और लोकप्रिय बनाती है साथ ही आतंरिक दृष्टि से आपको सहिष्रू बनाती है क्योंकि समाज में यह संभव नहीं है की अपने संपर्क में आये लोगों के साथ हमारी रूचि का संघर्ष न हो। ऐसी स्थिति में सत्पुरुष वह है जो दूसरों की रूचि का सम्मान करता है। इस सहिश्रुता के कारन बहुत से साधनों का विकास होता है। इसीलिए कहा गया है की समता सद्गुणों की आधारशिला है।

समत्व का व्यवहार दुर्गुणों से मनुष्य को बचाता है। किसी का कोई दुर्गुण आपको सह्या नहीं अतः आपमें कोई दुर्गुण नहीं होने चाहिए। यहाँ तक की अपनी ही बात कहने, दूसरों की बात सुनने के लिए पर्याप्त धैर्य न होना - यह सब समत्व आते ही दूर हो जाता है। व्यवहार की समता आपको आतंरिक समत्व के लिए सक्षम बनाती है और व्यावहारिक जीवन को सुखी, सम्मानित बनाती है। अतः दोनों समाताओं की उपलब्धि पर विशेष ध्यान आपको रखना ही चाहिए.

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